Friday, 4 May 2012

पहला करगिल फिल्म उत्सव 19 मई से शुरु 15 मई तक फिल्में भेजें, ज्यादा जानकारी के लिए देखें
www.kargilfilmfestival.tk
अवाम का सिनेमा की तरफ से पहले करगिल फिल्म उत्सव का आयोजन 19-20 मई 2012 को हो रहा है| बात जब बेहतर सिनेमा की हो जिसे बाजार नहीं बल्कि सिर्फ सरोकारों को ध्यान में रखकर बनाया गया हो, तो ऐसे सिनेमा को उसके कम और बिखरे ही सही दीवानों तक पहुंचाने के लिए स्वाभाविक तौर पर थोड़ी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है| इसलिए करगिल में फिल्म उत्सव की मशक्कत पिछले तीन साल से की जा रही थी| लद्दाख क्षेत्र के इतिहास में पहली बार किसी फिल्म मेले का आयोजन किया जा रहा है। अवाम का सिनेमा में कुछ हमख्याल दोस्त ही इसके सहयोगी और प्रायोजक हैं।
फिल्मग उत्सकव में कुछ चुनिंदा बेहतरीन फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। निश्चित ही लद्दाख के फिल्म प्रेमियों के लिए यह उत्सव एक सौगात से कम नहीं है तथा साथ ही राज्य से बाहर स्थित अच्छे सिनेमा के शौकीनों के लिए फिल्मों के साथ-साथ करगिल के खूबसूरत और सौहार्दपूर्ण माहौल का मुज़ाहिरा करने का एक बढ़िया मौका भी।"अवाम का सिनेमा" ने 2006 में अयोध्या से छोटे स्तर पर ही सही, एक सांस्कृतिक लहर पैदा करने की कोशिश की थी। मकसद था कि फिल्मों के जरिए देश-समाज को समझने के साथ-साथ विभिन्न कला माध्यमों के जरिए आमजन के बीच बेहतर संवाद बने, उनके सुख-दुःख में शामिल होने के रास्ते खुलें और कुछ वैसी खोई विरासत से रूबरू होने का मौका मिले, जहां इंसानियत के लिए बेहिसाब जगह है।
"अवाम का सिनेमा" ने इस ओर कदम बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और फिल्में बनाने से लेकर लोगों के खुद सिनेमा बनाने की जमीन तैयार करने की दिशा में हर शुभचिंतक का सहयोग लेने की कोशिश की है जिससे आपसी सौहार्द की ओर बढ़ने का रास्ता आसान हो सके। इस अभियान के तहत अयोध्या, मऊ,जयपुर, औरैया, इटावा, दिल्ली और कश्मीर सहित कई जगहों पर फिल्म उत्सव का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में पहला करगिल फिल्म उत्सव भी है।जिस दौर में हमारे लोकतंत्र को जीवन देने वाली संसद और विधानसभाओं से लेकर मीडिया तक के सारे पायदान अपने सरोकारों की सरमाएदारी पर उतर चुके हैं, उसमें जनता की सांस्कृतिक गोलबंदी ही एक ऐसा रास्ता है जो इन संस्थाओं को उनकी जिम्मेदारी का अहसास करा सकता है और उसे पूरा करने पर मजबूर कर सकता है।इसके लिए सबसे जरूरी पहल यह होगी कि जनसरोकारों के प्रति लोगों के बीच संवाद कायम किया जाए। "अवाम का सिनेमा" इसी दिशा में एक कोशिश है। यह आयोजन बगैर किसी प्रायोजक के अब तक चलता आया है और आगे भी ऐसे ही जारी रहेगा। एक बार फिर हम आपको इसमें आमंत्रित करते हैं। हमें उम्मीद है कि जनसरोकारों का दायरा और व्यापक बनाने की कोशिशों में हमें आपकी मदद जरूर मिलेगी।

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